BA Semester-5 Paper-1 Geography - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

सतत् विकास का अर्थ

1970 के दशक के आरंभ में सतत् विकास शब्द संभवतः बारबरा वार्ड-लेडी जैक्सन (Barbara Ward Lady Jackson ) द्वारा अंकित किया गया था, जो पर्यावरण और विकास के अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान (International Institute for Environment and Development) की संस्थापक थी। सतत् विकास व्यापक रूप से लोगों, उनकी आर्थिक और सामाजिक भलाई और एक-दूसरे के साथ अपने रिश्तों में समानता के विषय में है, उस संदर्भ में, जहां पर्यावरण-समाज के असंतुलन से आर्थिक और सामाजिक सततता को खतरा हो सकता है।

सतत् विकास की अवधारणा की विरासत का शीर्षक 'हमारा सामूहिक भविष्य' के लिए पर्यावरण और विकास पर विश्व आयोग की रिपोर्ट (Report of the World Commission on Environment and Development entitled Our Common Future) को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो इसे विकास के रूप में परिभाषित करते हुए कहता है कि " भविष्य की पीढ़ियों की योग्यता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है"। इस प्रकार, यह मानव की पीढ़ियों के भीतर न्याय संगतता और अंतर पीढ़ीगत न्याय संगतता की अनिवार्यता को भी पूरा करने का प्रयास करता है।

सतत् विकास वह विकास है, जो वर्तमान और भावी पीढ़ी के कल्याण की आवश्यकताओं के पूरा करता है। यह सततता के मुद्दों और विशेष रूप से संरचनात्मक परिवर्तनों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए लम्बी अवधि में विकास के साथ सम्बन्धित है, जो राज्यों के गुणात्मक रूप से अलग-अलग विशेषताओं या विचार के अन्तर्गत प्रणाली के व्यवहार के परिणामस्वरूप परिवर्तित होता है।

पर्यावरणीय हानि के वैश्विक और स्थानीय प्रभावों को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सतत् विकास, विकास योजना और संसाधन प्रबंधन में एक 'पसंदीदा शब्द' बन गया है। हालांकि इस अवधारणा की व्याख्या अभी भी अस्पष्ट है। व्रंटलैंड रिपोर्ट (Brundtland Report) के अनुसार, सतत् विकास का विचार पर्यावरण संरक्षण से कहीं आगे तक पहुंचता है, क्योंकि इसका अर्थ है परिवर्तन की प्रक्रिया, जिसमें संसाधनों का दोहन, निवेश की दिशा, तकनीकी विकास का उन्मुखीकरण और संस्थागत परिवर्तन भविष्य में साथ ही साथ वर्तमान की आवश्यकताओं के साथ तर्कयुक्त बनाए जाते हैं। यह सामंजस्य की निश्चित स्थिति नहीं है, बल्कि परिवर्तन की एक संतुलित और अनुकूल प्रक्रिया है।

सततता के लिए " आर्थिक विकास के बीच संतुलन " अर्थव्यवस्था में सभी मात्रात्मक और गुणात्मक परिवर्तन सम्मिलित है, जो कल्याण में सकारात्मक योगदान प्रदान करते हैं और पारिस्थितिक सततता - सभी मात्रात्मक और गुणात्मक पर्यावरणीय कार्यनीतियां हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कार्य करती है और अंततः कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं। दोनों आर्थिक और पर्यावरणीय प्रणालियों को जीवित रहने के लिए निश्चित न्यूनतम शुरुआत की आवश्यकता होती है।

"संक्षेप में, सतत् विकास परिवर्तन की एक प्रक्रिया है, जिसमें संसाधनों का दोहन, निवेश की दिशा, तकनीकी विकास का उन्मुखीकरण, और संस्थागत परिवर्तन, सभी सामंजस्य में है और मानव की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वर्तमान और भविष्य की क्षमता दोनों को बढ़ाते हैं"।

ब्रेटलैंड कमीशन की परिभाषा के अर्थ - " भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने" का विश्व विकास रिपोर्ट (World Development Report, 1992) द्वारा दृढ़ता से समर्थन किया गया है।

सतत् विकास की अवधारणा पारंपरिक दृष्टिकोण को अस्वीकार करती है, जो आर्थिक विकास को आवश्यकता, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को विलास का साधन मानता है। पार्थ दासगुप्ता और कार्ल-गोरान मेलर (Partha Dasgupta and Karl - Goran Maler, 1990) लिखते हैं कि "पर्यावरणीय संसाधन गरीब देशों के लिए छोटे महत्व के हैं ... वे आर्थिक विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं... इस तरह के संसाधन विलासिता की वस्तुएं हैं, और वे सार्वजनिक चेतना में ही बड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं, जब आय उच्च होती है ... पर्यावरणीय संसाधन केवल समृद्ध देशों की अतिव्यस्तता है ... ये अर्थशास्त्रियों द्वारा मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए हैं, जो गरीब देशों में गरीबों की वास्तविक आवश्यकताओं के संवेदनशील हैं ... "।

हालांकि, पिछले एक दशक में, पर्यावरणीय क्षय के वैश्विक प्रभावों पर आंशिक पर्यावरणीय विश्लेषण पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए परिवर्तन किया गया है-खतरनाक घटनाएं जैसे बाढ़, अम्लीय वर्षा, मिट्टी स्थलन और मरुस्थलीकरण, ओजोन रिक्तिकरण, समुद्र प्रदूषण और संसाधन निष्कर्षण (Flooding, Acid Rain, Soil Erosion and Desertification, Destruction of the Ozone Layer, Ocean Pollution, and Resource Extraction) विनाश के अन्य चीजों के बीच परिलक्षित होती है। इस प्रकार, संसाधन संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण, कभी सोची हुई विलासिता की वस्तुएं हैं, जो अब जीवन रक्षक प्राकृतिक प्रणालियों की रक्षा और जीवन-स्तर में सुधार करने के लिए आवश्यक रूप में पहचाने जाते हैं। नेता अब निरंतर समझ रहे हैं कि सामाजिक-आर्थिक विकास सतत् होने चाहिए, जो न केवल वर्तमान जरूरतों को बल्कि भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम हों।

इस संदर्भ में, प्रश्न ये है कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों की भलाई का आंकलन कैसे किया जाए। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या छोड़ना चाहिए कि वे स्वयं को हम से बुरी स्थिति में न पाएँ। यह मुद्दा और अधिक जटिल हो जाता है, क्योंकि हमारे बच्चे न केवल हमारे कृषिरहित खेत, नष्ट हुए पहाड़, प्रदूषित पानी और हवा, घास के मैदान, और रिक्त ओजोन को पूर्वजों से प्राप्त करते हैं, बल्कि हमारे श्रम के रूप में शिक्षा, कौशल और ज्ञान व भौतिक पूंजी का फल भी प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए, वे प्राकृतिक संसाधनों में मिट्टी की उर्वरता में सुधार और पुनः वितरण में निवेश से लाभ प्राप्त करने के अधिकारी हैं।

आशीष कोठारी का कथन है कि वर्तमान में परिभाषित " सतत् विकास की परिभाषा आंतर- पीढ़ीगत आंतर- जीवी असमानता (Intragenerational Interspecies Inequity) की असतता को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करती है, और इसलिए खुशी, समानता, न्याय और शांति के विशाल मानवीय लक्ष्यों के दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है"।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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